7 महिलाओं द्वारा मात्र ₹80 में शुरू किया गया यह कारोबार देश में 5 करोड़ों कमा रहा है। लिज्जत पापड़
लिज्जत पापड़
आज मार्केट, सुपरमार्केट आप कहीं भी घूमने जाएं दुनियाभर के प्रोडक्ट देखने को मिलते हैं। इन प्रोडक्ट को बनाने वाले लोगों के भी अपनी कहानी अपना इतिहास है लेकिन आज हम जिस प्रोडक्ट की बात कर रहे हैं उसको बनाने बाला कोई बड़ी हस्ती नहीं बल्कि कुछ महिलाओं है।
अपने समय का मशहूर विज्ञापन ""कुर्रम, कुर्रम, कुर्रम, कुर्रम, ।। स्वाद, स्वाद में लिज्जत लिज्जत पापड़"" हम बात कर रहे हैं लिज्जत पापड़ की। वैसे तो मार्केट में पापड़ की वैरायटी खूब है लेकिन नजरें लिज्जत पापड़ पर ही आकर रूकती हैं। लिज्जत पापड़ ने इतनी प्रसिद्धि पाई भारत में शायद ही कोई ऐसा होगा जो इस प्रोडक्ट के बारे में ना जानता हो। इसकी कहानी शुरू होती है सात गुजराती सहेलियां से जिन्होंने ₹80 उधार लेकर यह कारोबार शुरू किया।
लिज्जत पापड़ की संस्थापक:-
- जसवंतीबेन जमनादास पोपट
- पार्वतीबेन रामदास थोड़ानी
- उजामबेन नरदादास कुंडलिया
- बानूबेन एन तन्ना
- लगुबेन अमृतलाल गोकानी
- जयबेन वी विठालानी
- दिवालीबेन लुक्का
लिज्जत पापड़ के बिजनेस की शुरुआत:-
लिज्जत पापड़ के सफर की शुरुआत होती है 15 मार्च 1959 को, इसकी सह संस्थापक जसवंतीबेन द्वारा। मुंबई के गिरगांव में रहने वाली 7 गुजराती महिलाएं जसवंती बेन और उनकी 6 सहेलियां ने मिलकर अपने परिवार के खर्च में हाथ बटाने की सोची जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सही हो सके। परंतु ज्यादा पढ़ा लिखा ना होने के कारण बाहर नौकरी पाना थोड़ा मुश्किल था तो उन्होंने अपने हुनर को जानते हुए पापड़ बनाकर उन्हें बेचने का सोचा इससे वह घर पर ही रहकर यह काम कर सकती थी।
पापड़ का बिजनेस शुरू करने के लिए इन्हें पैसों की जरूरत पड़ी। जिसके लिए यह महिलाएं सामाजिक कार्यकर्ता छगन लाल पारीक के पास गई। छगन लाल पारीक से प्राप्त ₹80 के उधार से इन 7 महिलाओं ने पापड़ बनाने की मशीन व पापड़ बनाने की जरूरी सामग्री खरीदी।
15 मार्च 1959 को यह सब महिलाएं एक पुराने भवन की छत पर इकट्ठे हुए और इन 7 महिलाओं ने पापड़ के 4 पैकेट तैयार किएकिए और एक व्यापारी के पास जाकर बेच दिए। यहां पर इन महिलाओं की मेहनत रंग लाई जब व्यापारी द्वारा पापडो की और मांग की गई। यह तो अभी इन महिलाओं की सफलता की सिर्फ शुरुआत भर थी। छगन लाल पारीक द्वारा दी गई सलाह पर इन महिलाओं ने पापड़ की क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया। यहां तक कि पारीक ने इन्हें मार्केटिंग व खाता संभालने की भी ट्रेनिंग दी। 1 साल में इन्होंने ₹6000 से अधिक के पापड़ बेचे। शुरू के 1 वर्ष में महिलाओं को बारिश के 4 महीने अपने इस पापड़ बनाने के भेजने को रोकना पड़ता था क्योंकि बारिश के दिनों में पापड़ सूखने में खासी मशक्कत होती थी। इन महिलाओं ने इस समस्या का भी समाधान ढूंढ निकाला उन्होंने एक चारपाई व चूल्हा खरीदा। पापड़ चारपाई पर रखे जाते थे और नीचे चूल्हा जलाकर पापडो को सुखाया जाता था। 7 महिलाओं का यह समूह को आपरेटिव सिस्टम बन गया। इसमें 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को जोड़ा गया।
7 महिलाओं द्वारा शुरू किए गए इस बिजनेस में 2021 तक महिलाओं की संख्या 45000 से अधिक दर्ज की गई है। लिज्जत की देशभर में 82 शाखाएं हैं। यहां तक कि अमेरिका, सिंगापुर जैसे देशों में भी इसका निर्यात होता है।
7 महिलाओं द्वारा शुरू किए गए इस बिजनेस में अब काफी 25 महिलाएं जुड़ चुकी थी। इस समूह को श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ के नाम से पंजीकृत किया गया लेकिन 1962 में ए कैश प्राइज प्रतियोगिता जीतने के बाद ब्रांड का नाम लिज्जत पड़ा। लिज्जत में काम करने वाले कर्मचार ज्यादातर महिलाएं हैं।पुरुषों को केवल ड्राइवर, सहायक व दुकान सहायक के रूप में भर्ती किया जाता है।
पापड़ बनाने में यूज सामग्री:-
वैसे तो पापड़ तरह-तरह की सामग्री यूज़ करके बनते हैं लेकिन लिज्जत पापड़ में यूज़ सामग्री इस प्रकार है। उड़द दाल का आटा। आटे में मूंगफली का तेल यूज़ किया जाता है इसके अलावा मिर्च, जीरा, लहसुन, काली मिर्च, हींग, नमक, पापड़ खार, तेल व अन्य खाद्य मसाले डालकर बनाया जाता है।
लिज्जत पापड़ बनाने वाली कंपनी:-
श्री महिला गृह उद्योग के अंतर्गत पापड़ बनाए जाते हैं यह कंपनी लिज्जत पापड़ के अलावा अन्य प्रोडक्ट बनाती है जैसे खाखरा, बेकरी प्रोडक्ट, कई प्रकार के मसाले, आटा, यहां तक की डिटर्जेंट तक भी बेचती है। इस फर्म के मुख्य कार्यालय मुंबई में है। पूरे भारत में इसकी इसकी 81 शाखाएं हैं।
पुरस्कार से भी सम्मानित:-
अपनी मेहनत व हिम्मत से सफलता का परचम लहराने वाली इन महिलाओं को पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
लिज्जत पापड़ को 2002 में इकोनॉमिक्स टाइम्स का बिजनेस वूमेन ऑफ द ईयर अवार्ड, 2003 में देश के सर्वोत्तम कुटीर उद्योग, 2005 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ब्रांड एक्टिविटी अवार्ड भी मिल चुका है तथा 2021 में लिज्जत पापड़ की सह संस्थापक जसवंती बेन जमुनादास पोपट को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया है।
विदेशों में भी फेमस लिज्जत पापड़:-
लिज्जत पापड़ के स्वाद के दीवाने सिर्फ अपने ही देश में नहीं बल्कि कई अन्य ऐसे देश भी हैं जहां लिज्जत पापड़ का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। अमेरिका, सिंगापुर, नीदरलैंड व थाईलैंड जैसे देशों में भी निर्यात किया जाता है।
लिज्जत पापड़ का टर्नओवर:-
7 महिलाओं द्वारा मात्र ₹80 में शुरू किया गया यह कारोबार देश में 5 करोड़ों कमा रहा है। कंपनी का टर्नओवर 1600 करोड़ रुपए से अधिक का है। इस संगठन ने लगभग 45000 महिलाओं को रोजगार भी दिया है।
सामाजिक गतिविधियां:-
लिज्जत गरीब बच्चों के लिए शिक्षा, भोजन व कपड़ों की व्यवस्था करने, सामूहिक विवाह का आयोजन, स्वास्थ्य शिविर का आयोजन व रक्तदान अभियान जैसी सामाजिक गतिविधियों में योगदान देता रहता है। लिज्जत ने महाराष्ट्र के लातूर जिले में आए भूकंप से प्रभावित लोगों के पुनर्वास में भी योगदान दिया है।
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