क्या पैराशूट तेल को खाने में उपयोग कर सकते हैं | क्या पैराशूट हेयर ऑयल नहीं है ?
पैराशूट ब्रांड
ब्रांड पैराशूट के नाम द्वितीय विश्व युद्ध की देन
पैराशूट ऑयल का चूहे के साथ संघर्ष
पैराशूट की बोतल पर हेयर ऑयल नहीं लिखा होता।
पैराशूट ब्रांड
पैराशूट नारियल तेल नारियल तेल का इस्तेमाल लगभग हर घर में होता है। यह नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। यह माइक्रो नाम की एक भारतीय कंपनी का ब्रांड है। हर्ष मारी वाला इस कंपनी के संस्थापक हैं। कंपनी के हेयर ऑयल के अलावा अन्य ब्रांड भी हैं।
जैसे:
रिवाइव, मेडिकर, निहार नेचुरल, सफॉला, लिवोन, हेयर एंड केयर इसी कंपनी के अन्य ब्रांड है।
पैराशूट ऑयल का चूहे के साथ संघर्ष
जी हां दोस्तों पैराशूट ऑयल को अपने मौजूदा मुकाम तक पहुंचने के लिए चूहों के साथ भी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। बात शुरू करते हैं सन 1947 से जब मारी वाला परिवार ने मुंबई ऑनलाइन इंडस्ट्री की शुरुआत की। 1970 तक भी इस कंपनी का कामकाज बहुत कम मार्जिन पर जारी था। इसके प्रोडक्ट पैराशूट और ससुरा लॉन्च किए जा चुके थे। और जब हर्ष मारिवाला जी ने कंपनी को ज्वाइन किया तब पैराशूट तेल को 15 लीटर के टीम में बेचा जा रहा था।
उस समय में कोलकाता की एक मशहूर कंपनी शालीमार कोकोनट ऑयल को छोटे पैकेट में बेच रही थी। इसकी वजह से वह कंपनी मुंबई ऑयल इंडस्ट्री से ज्यादा मुनाफा कमा रही थी । हर्ष मारिवाला जी छोटे पैकेट की सफलता को खुश देखना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने मार्केट विजिट किए।
अपनी विजिट में उन्होंने जाना कि लोग पैराशूट को सुपीरियर प्रोडक्ट मान रहे हैं और इसकी खुशबू लोगों को दीवाना बना रही थी। हर्ष ने तभी अपने ब्रांड पैराशूट को छोटे पैकेट में लाने का फैसला किया जिससे कि वह आम लोगों तक भी पहचाना जा सके। इसके लिए उन्होंने पैराशूट ऑयल को प्लास्टिक की बोतलों में बेचने का फैसला लिया जो कि सस्ती और देखने में आकर्षक भी थी। जिससे कि आम लोग भी पैराशूट ऑयल को इस्तेमाल कर सकें। लेकिन एक सर्वे ने उनकी कंपनी के सामने एक बड़ी परेशानी खड़ी कर दी।
व्यापारियों ने पैराशूट ऑइल को प्लास्टिक की बोतलों को लेने से मना कर दिया। व्यापारियों के इनकार की वजह का कारण कुछ और ही था। असल में बात 60 के दशक की है जब किसी कंपनी ने प्लास्टिक पैकिंग में नारियल तेल को बेचना शुरू किया था तब
व्यापारियों के सामने एक नई परेशानी आ खड़ी हुई उन्होंने देखा प्लास्टिक की बोतलों के माल को चूहे खा रहे हैं जिसकी वजह से व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था
अब व्यापारी यह गलती दोहराना नहीं चाहते थे । पर हर्ष मारिवाला जी आम लोगों तक अपने तेल को पहुंचाने की ठान चुके थे । अब हर्ष मारिवाला जी और उनकी टीम ने एक सर्वे किया । हर्ष मारिवाला जी और उनकी टीम ने सर्वे में पाया की की अक्सर प्लास्टिक की बोतलें चकोर होती थी जिन्हें चूहे आसानी से कुतर देते थे तब यह तय हुआ कि बोतल की शेप गोल होगी और यह फार्मूला सफल साबित हुआ
पैराशूट की बोतल पर हेयर ऑयल नहीं लिखा होता,
क्या यह हेयर ऑयल नहीं है ?
हम पैराशूट ऑयल को बालों में लगाने के लिए खरीदते तो है पर हमने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि पैराशूट ऑयल की बोतल पर कभी भी हेयर ऑयल नहीं लिखा होता है
सर्दी का मौसम आते ही हम जैसे मिडिल और लोअर क्लास के लोग पैराशूट कोकोनट ऑयल को moisturizing ऑयल के रूप में उपयोग करते हैं पैराशूट ऑयल के किसी भी पैकेट को आप देखे हैं तो उस पर 100℅ प्योर कोकोनट ऑयल लिखा होता है इसका कारण यह है कि कंपनी अगर पैकेट पर हेयर ऑयल प्रिंट कर देती तो उसकी कीमत पर 8% एक्साइज ड्यूटी बढ़ जाती पैकेट पर 100% शुद्धता इसलिए लिखा जाता है कि कंपनी अपने उत्पाद की शुद्धता पर विशेष ध्यान देती है। इसके अलावा भारत में खाद्य तेल टैक्स फ्री है
कंपनी ने खुद को आरोपों से बचाने के लिए आयुर्वेदिक हेयर ऑयल के नाम से भी प्रोडक्ट निकाले हैं पर आज भी ज्यादातर लोग 100℅ प्योर कोकोनोट ऑयल को इस्तेमाल करना ही पसंद करते हैं
ब्रांड पैराशूट के नाम द्वितीय विश्व युद्ध की देन
आपको यह जानना अच्छा लगेगा की पैराशूट ब्रांड के नाम पैराशूट रखने को लेकर एक रोचक कहानी है।
पैराशूट नाम की यह कहानी द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ी है।
लोगों ने विश्व युद्ध के दिनों में पैराशूट को उड़ते हुए देखा था और उन दिनों पैराशूट कुछ नया था । उस समय हर्ष मारी वालजी के रिश्तेदारों और दोस्तों ने यह विचित्र नाम बदलने के लिए बहुत जोर दिया। परंतु मारी वालजी ने ब्रांड का नाम पैराशूट रखने का ही फैसला लिया। बाद में सभी को यह एहसास हुआ कि उनका यह निर्णय सही था
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