लखानी के दो मालिक | फरीदाबाद की लखानी का इतिहास
लखानी
फुट वियर निर्माता कंपनी "लखानी" यह नाम कोई नया नहीं है। इस कंपनी की सैंडल हवाई चप्पल जूते आपने भी जरूर पहने होंगे। लखानी कंपनी की स्थापना 1982 में की गई। बढ़िया क्वालिटी होने के कारण इस कंपनी के स्पोर्ट्स, सैंडल, कैनवास, जूते, चप्पल लोगों में खूब पसंद किए जाते हैं। लखानी बीच स्लीपर का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर है और यह एडीडास कंपनी के साथ मिलकर स्पोर्ट्स शूज का निर्माण भी कर रही है।
लखानी कंपनी का पूरा नाम:-
लखानी कंपनी का पूरा नाम लखानी फुटवियर प्राइवेट लिमिटेड है। इसके संस्थापक के.सी. लखानी है। लखानी फुटवियर कंपनी भारत की बड़ी कंपनियों में से एक है। इसका मुख्यालय फरीदाबाद हरियाणा में है। यह कंपनी लखानी अरमान ग्रुप के नाम से पेटेंट कंपनी है। लखानी अरमान ग्रुप के संस्थापक
के.सी. लखानी की मेहनत लगन का नतीजा है कि कंपनी आज यहां इतने बड़े मुकाम पर पहुंची हुई है।
लखानी के मालिक:-
लखानी के मालिक के.सी. लखानी है और लखानी ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन भी है।
लखानी का इतिहास:-
1966 में परमेश्वर दयाल लखानी ने लखानी की स्थापना की। जो एक मेक इन इंडिया फुटवियर कंपनी है। 1966 में मोटर वाहन कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी रबर वर्क्स के साथ अस्तित्व में आई। कंपनी का यही दृष्टिकोण उसकी सफलता को आगे ले गया। भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए व्यवसायिक गतिविधियों मैं फुटवियर निर्माण का विस्तार किया। 1982 में के.सी. लखानी ने लखानी फुटवियर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से इसको स्थापित किया गया। यह कंपनी समुद्र तट की चप्पलों (बीच स्लिपर) का सबसे बड़ा निर्माता है। लखानी फुटवियर भारत में पीवीसी इजेक्टेड स्पोर्ट्स शूज के लिए भी जाना जाता है। लखानी ने खेल परिधान निर्माता कंपनी एडिडास से हाथ मिला कर अपनी कंपनी को और मजबूती दी है। अब यह अन्य ब्रांडो के लिए भी काम कर रहा है।
लखानी की कामयाबी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उद्योग में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें अवार्ड से भी नवाजा गया। 2012 मैं इन्हें फुटवियर इंडिया जनरल से लाइफ टाइम अवार्ड मिला। यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा इन्हें कोहिनूर पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। 2019 में फरीदाबाद उद्योग आइकन होने के कारण इन्हें मानव रचना उत्कृष्टता अवार्ड से सम्मानित किया गया।
लखानी द्वारा कई चैरिटेबल प्रोग्राम भी किए गए हैं। इनके द्वार योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति देना जरूरतमंदों की शादी कराना तथा समय-समय पर रक्तदान शिविर का आयोजन करना। साल 2000 के मध्य में जब अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध ब्रांडो एडिडास, प्यूमा, नाइके ने भारतीय फुटवियर बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। तब लखानी की प्रसिद्धि में कमी आई और यह कंपनी गुमनाम सी हो गई। तब लखानी की दूसरी पीढ़ी मयंक लखानी ने कंपनी को संभाला और लोकप्रियता के साथ लखानी को कामयाबी दिलाई। यह समय नई पीढ़ी का था और नई पीढ़ी के साथ में परिवर्तन का भी था। नई डिजाइन और लुक के साथ लखानी ने अपने फुटवेयर को मार्केट में उतारा।
2016 में एमपी ग्रुप के साथ हाथ मिलाकर लखानी ने अपने उत्पादों के निर्माण में अपना भागीदार बनाया। कंपनी दिल्ली एनसीआर जैसी जगहों से कच्चा माल और दक्षिण भारत से रबड़ मंगाती है। कंपनी के पास लगभग 20000 खुदरा विक्रेताओं का नेटवर्क है। 2016 में कंपनी ने ₹10 करोड़ के आंकड़े को छुआ और 2018 तक आते-आते आंकड़ा 50 करोड़ का हो गया। अपने लक्ष्य को हासिल करते हुए 2021 तक की आंकड़ा 200 करोड़ तक पहुंच गया। मार्केट में अपने कदम जमाए रखने के लिए कंपनी समय-समय पर नए डिजाइन मार्केट में लाती रहती है। और यह मार्केट में जमे रहने के लिए जरूरी भी है।
लखानी के अंतर्गत आने वाले समूह:-
1। लखानी फुटवियर प्राइवेट लिमिटेड
2। लखानी रबर प्राइवेट लिमिटेड
3। लखानी चैरिटेबल ट्रस्ट
4। लखानी सेल्स कॉरपोरेशन
लखानी का दो भागों में बटवारा:-
लखानी के दो मालिक है। लखानी ने फरीदाबाद मैं अपना व्यवसाय शुरू किया जो अब देश का जाना माना ब्रांड बन चुका है। के.सी. लखानी द्वारा शुरू की थी कि लखानी प्राइवेट लिमिटेड 2006 में दो भागों में बट गई। इनमें से एक लखानी अरमान ग्रुप और दूसरी लखानी वरदान ग्रुप है। लखानी अरमान ग्रुप के एमडी कै.सी. लखानी हैं और लखानी वरदान ग्रुप एमडी पी.डी. लखानी है।
लखानी वरदान ग्रुप के द्वारा किया गया फ्रॉड:-
लखानी वरदान ग्रुप 2006 में सुर्ख़ियों में आया। सूत्रों के मुताबिक लखानी ग्रुप के डायरेक्टर पीडी लखानी ने फर्जी बिल बैंकों से पास कराए और बैंकों को चूना लगाया। यहां तक कि नकली सी फॉर्म बनवा कर सरकार को भी चूना लगाया। जब वे कानूनी मामलों में हंसने लगे तो उन्होंने अपने सभी शेयर अपने बेटे मयंक के नाम पर कर दिए और जब कानूनी और जनों में ज्यादा फसलें लगे तो अपने ड्राइवर को कंपनी का डायरेक्टर बना दिया। इसके अलावा पीडी लखानी की एक कंपनी लखानी मेडिकेयर के नाम से भी थी। जिसके शेयर भी पीडी लखानी ने अपने बेटे मयंक लखानी के नाम पर कर दिए और आज यह कंपनी मेडहेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से चल रही है।
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