Vicco Cream भारतीय बाजार का पहला हर्बल प्रोडक्ट | Full Form Vishnu Industrial Chemical Company
विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, विको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम
Vicco Cream- भारतीय बाजार का पहला हर्बल प्रोडक्ट
विको ग्रुप की शुरुआत
पहला प्रोडक्ट
घर घर जाकर मार्केटिंग
विको की फुल फॉर्म
विको के अन्य प्रोडक्ट
टूथ पाउडर के बाद टूथपेस्ट के एंट्री
विको क्रीम को मार्केट में लाना
मार्केटिंग स्ट्रेटजी
सबसे चर्चित विज्ञापन
विको के नाम अवार्ड
विको क्रीम किस चीज से बनी है
विको क्रीम की कानूनी जंग
Vicco Cream- भारतीय बाजार का पहला हर्बल प्रोडक्ट
लोगों में आयुर्वेदिक और हर्ब्स प्रोडक्ट को लेकर ज्यादा जागरूकता है। अगर आयुर्वेदिक और स्वदेशी प्रोडक्ट की बात की जाए तो बाबा रामदेव का नाम ही ध्यान में आता है । लेकिन देश को पहला आयुर्वेदिक व हर्बल प्रोडक्ट मिला सन 1952 में। "विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, विको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम'' यह जिंगल किसे याद नहीं होगा अपने जमाने का मशहूर विज्ञापन, जी आप सही समझे हम बात कर रहे हैं विको की।
विको ग्रुप की शुरुआत
विको ग्रुप की शुरुआत सन 1952 में हुई । इसकी नीव केशव पेंढरकर ने डाली थी। केशव की नागपुर में एक राशन की दुकान हुआ करती थी पर वह परिवार का पालन पोषण करने के लिए प्राप्त नहीं थी। 55 साल की केशव ने कुछ अलग करने की सोची । उन्होंने फैसला लिया कि किराने की दुकान को बंद करके कॉस्मेटिक ब्रांड की शुरुआत करेंगे।
केशव अपने पूरे परिवार के साथ नागपुर छोड़ मुंबई आ बसे । केशव ने अपने काम की शुरुआत करने के लिए अपने एक रिश्तेदार की मदद ली। जिसके पास आयुर्वेद की डिग्री थी । मुंबई में केशव का परिवार तीन कमरों के घर में रहता था। शुरुआत में घर का किचन मैन्युफैक्चरर यूनिट बना और बाकी कमरे कार्यालय और गोदाम बन गए ।
पहला प्रोडक्ट
बिगो का पहला प्रोडक्ट विको वज्रदंती पाउडर था। यह केमिकल फ्री था और 18 जड़ी बूटियों से बना हुआ था। यह मसूड़ों की मजबूती और दांतों की सफाई के लिए भी थ। यह बच्चे बड़ों सभी के लिए सुरक्षित था। दन्त पाउडर बन गया सब कुछ बहुत सही होने के बाद भी अभी परेशानी खत्म नहीं हुई थी अभी एक समस्या बाकि थी। अब कंपनी के सामने चुनौती थी की इसे लोगों तक कैसे पहुंचाया जा।
घर घर जाकर मार्केटिंग
अपने पहले उत्पाद के तौर पर दूध पाउडर का निर्माण किया। लेकिन परेशानी थी से लोगों तक पहुंचाया कैसे जाए तो केशव और उनके परिवार ने घर-घर जाकर अपने इस प्रोडक्ट को बेच। पर यह आसान काम नहीं था कभी उन्हें लोगों द्वारा घर अपने घर से निकाल दिया जाता तो कभी उनकी बात सुनी ही नहीं जाती थी । एक दिन आया जब उनकी मेहनत सफल हुई । लोग उनके प्रोडक्ट को खरीदने लगे और धीरे-धीरे यह लोगों के बीच प्रचलित भी हो गया। कंपनी की ग्रोथ में भी वृद्धि हुई। इसके बाद केशव ने अपनी कंपनी रजिस्टर करा ली। 1971 मैं केशव का निर्धन हो गया फिर यह कंपनी उनके बेटे गजानन ने संभाली। जब गजानन ने यह कंपनी समाली तब कंपनी का टर्नओवर मात्र ₹100000 था लेकिन गजानन ने अपनी मेहनत और लगन से उसे एक ब्रांड में तब्दील कर दिया।
विको की फुल फॉर्म
विष्णु इंडस्ट्रियल केमिकल कंपनी
विको के अन्य प्रोडक्ट
विको वज्रदंती क्रीम के अलावा विको शेविंग क्रीम, वीको स्किन क्रीम, विको शुगर फ्री पेस्ट, विको टरमरिक फेस वॉशवॉश आदि हैं ।
टूथ पाउडर के बाद टूथपेस्ट के एंट्री
टूथ पेस्ट की डिमांड ज्यादा थी। उस समय टूथपेस्ट में फ्लोराइड का इस्तेमाल ज्यादा होता था । अगर उसे बच्चे निगल जाएं तो वह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता था। केशव ने भी टूथपेस्ट मार्केट में उतारने की सोची। उनके बेटे के पास फार्मेसी की डिग्री थी। उन्होंने अपने बेटे को जड़ी बूटियों का प्रयोग करके हर्बल टूथपेस्ट बनाने को कहा । तब उन्होंने हर्बल युक्त टूथपेस्ट बनाया। वीको ऐसा पहला आयुर्वेदिक ब्रांड है जिसने टूथ-पेस्ट और पाउडर बनाया।
विको क्रीम को मार्केट में लाना
1971 में केशव की मृत्यु के बाद उनका बिजनेस उनके पुत्रगजानन ने संभाला । गजानंद ने स्किन केयर रेंज में उतरने की सोची । उस समय
मार्केट में पहले ही तरह-तरह के क्रीम मौजूद थे। उन्होंने 1975 में विको क्रीम को लॉन्च किया जिसका रंग पीला था। पहले इस क्रीम को क्रीम-जार में लॉन्च किया गया। बाद में इसे ट्यूब रूप में बनाया गया। हर्बल चीजों का इस्तेमाल के साथ-साथ विको क्रीम में हल्दी का भी उपयोग किया गया था । लोगों का विको पर भरोसा कराना आसान नहीं था। उन्हें डर था कि हल्दी की तरह यह क्रीम भी उनके चेहरे पर पीला रंग ना छोड़ दे ।
मार्केटिंग स्ट्रेटजी
लोगों के लिए विको क्रीम पर भरोसा कर पाना इतना आसान नहीं था। लोगों का भरोसा जीतने के लिए कंपनी ने अलग मार्केटिंग स्ट्रेटजी अपनाई। विको क्रीम सेफ है इसे साबित करने के लिए सेल्समेन अपने पास हमेशा एक आईना रखते थे। और ग्राहकों को यह क्रीम लगाकर दिखाते थे। ग्राहकों के बीच स्ट्रेटजी ने काम किया विको क्रीम ने मार्केट में अपनी जगह बना ली। 80 के दशक में भी विको ने अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुंचाने के लिए टीवी पर विज्ञापनों का सहारा लिया । संगीता बिजलानी को पहला ब्रेक विको क्रीम ने ही दिया था। इसके बाद विज्ञापन में एक्ट्रेस minal kulkarni दिखाई दी।
सबसे चर्चित विज्ञापन
विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, विको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम।। यह अपने टाइम का चर्चित टीवी विज्ञापन रहा है। विको के इस चर्चित जिंगल को अलग क्षेत्रों के हिसाब से भी अलग भाषा में डब किया गया जैसे तमिल, तेलुगू, मलयालम ,कन्ना ,उड़िया आदि
विको के नाम अवार्ड
1980 मैं मिली इंटरनेशनल ट्रेड ट्रॉफी। १९९०, 1992-1993 ,2001- 2002 में सेकंड बेस्ट एक्सपोर्ट अवार्ड। 2005 में पीटा की तरफ इंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर 2016 Entrepreneur of the year 2016 भी मिला।
विको क्रीम किस चीज से बनी है
विको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम है। यह हल्दी वह चंदन से बनी है। स्वास्थ्य व त्वचा के लिए हल्दी को औषधि के रूप में भी देखा जाता है। जो व्यक्ति विको क्रीम का नियमित रूप से इस्तेमाल करता है उसे इसके फायदे जरूर देखने को मिलते हैं । ऐसी बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हें इस क्रीम से नुकसान हुआ हो। इस क्रीम में हल्दी और चंदन का मिश्रण है जो त्वचा पर आयुर्वेदिक दवा की तरह काम करती है। यह त्वचा से कील मुंहासे को दूर कर सुंदर बनाती है।
विको क्रीम की कानूनी जंग
1975 से 1976 के बीच विको कंपनी को कानूनी आरोपों का भी सामना करना पड़ा। सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट ने विको पर आरोप लगाया कि विको मेडिसिन ना होकर कॉस्मेटिक है और उस पर कॉस्मेटिक के हिसाब से टैक्स लगाना चाहिए। अगर विको के प्रोडक्ट को कॉस्मेटिक की कैटेगरी में रखा जाता तो उसे 105 फ़ीसदी टैक्स देना पड़ता जो काफी घाटे का सौदा था। जिससे उसे काफी नुकसान होता। विको ने कानूनी जंग लड़ी और 25 साल बाद 2000 में विको के पक्ष में फैसला आया। इसी कानूनी लड़ाई के दौरान विको 1990 के दशक में अपना जिंगल "विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक " लेकर आई।
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