पारले जी कंपनी की शुरुआत कब हुई और मालिक कौन है | क्या आपको पता है Parle-g दुनिया का सबसे जयादा बिकने वाला बिस्किट है | पारले जी कंपनी कितने साल पुरानी है

Parle-g का सफर


  • टेस्टी हेल्थी फ़ूड दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला  बिस्किट।

  • Parle-g कंपनी शुरुआत

  • Parle-g दुनिया के चौथे नंबर की बिस्किट उपभोक्ता

  • पारले ग्लूकोस से parle-g तक का सफर

  • आजादी के बाद उत्पादन रोकना पड़ा।

  • पोस्टर गर्ल पर बहस

  • और कौन-कौन से हैं parle-g के प्रोडक्ट

  • लॉकडाउन में टूटा 80 साल का रिकॉर्ड

  • नहीं बड़े Parle-g बिस्किट के दाम




टेस्टी हेल्थी फ़ूड दुनिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला  बिस्किट।


 भारत का शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां पारले जी बिस्किट नहीं आता हो। parle-g सबसे पुराने ब्रांड होने के साथ-साथ भारत में सर्वाधिक बिकने वाला बिस्किट भी है। या बिस्किट सस्ता और स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पूरे भारत में लोकप्रिय है। यह मूल रूप से भारतीय कंपनी है और इस बिस्किट के साथ बहुत से लोग बचपन से जवान और फिर बूढ़े हुए हैं । पारले जी बिस्कुट का इतिहास 1929 से चला आ रहा है।


पार्ले कंपनी की शुरुआत एक बंद बड़ी फैक्ट्री से हुई जो मुंबई के विलेपार्ले नामक इलाके में थी।

शुरू में यह कंपनी केक पेस्ट्री और कुकीज बनाकर बेचा करते थी। उस समय मार्केट में बिस्किट की अच्छी डिमांड थी जिन्हें ब्रिटिश कंपनियां पूरा कर रही थी। 1939 में पारले ने इंडिया में ही बिस्किट बनाकर बेचना शुरू किया।


 पारले जी नाम को मुंबई के उपनगरीय रेलवे स्टेशन विले पार्ले से लिया गया है जो इस समय  पार्ले नामक पुराने गांव पर आधारित है। 


 पारले जी कंपनी शुरुआत


सन 1929 में जब स्वदेशी आंदोलन अपने जोरों पर था तब मोहन लाल दयाल  ने मुंबई में पारले जी कंपनी की स्थापना की। पारले का मूल्य दुनिया में बिकने वाले बिस्किट में सभी से कम है है। 



संस्थापक – मोहनलाल दयाल

हेड क्वार्टर – विले पार्ले ईस्ट मुंबई महाराष्ट्र

सीईओ – विजय चौहान



भारत में बिकने वाली ग्लूकोस श्रेणी के बिस्किट में 70% कब्जा पारले जी बिस्किट का ही है  । जिनमें ब्रिटानिया का टाइगर 17 से 18% और सनफेस्ट 8 से 9% तक का हिस्सेदार है।


Parle-g दुनिया के चौथे नंबर की बिस्किट उपभोक्ता


दुनिया के चौथे नंबर के सबसे बड़े उपभोक्ता में चीन का नाम आता है लेकिन 2009–10 के आंकड़ों के अनुसार पारले जी कंपनी ने  चीन से भी ज्यादा बिक्री की है ।


भारत के अलावा parle-g दुनिया के मुल्कों अन्य मुल्कों में भी उपलब्ध है जिनमें कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे बड़े देश भी शामिल है । parle-g दुनिया का इकलौता ऐसा बिस्किट है जो गांव से लेकर शहरों तक एक ही मूल्य पर मिलता है।


भारतीय लोगों के अनुसार parle-g एक भरोसेमंद ब्रांड है यह वैल्युएबल है और स्वाद  गुणवत्ता में सबसे खरा है। पारले जी बिस्किट को ग्लूकोस पूर्ति के लिए भी एक अच्छा स्रोत माना जाता है।


दशकों तक पारले जी बिस्किट का वैक्स पेपर से बना हुआ सफेद और पीले रंग का लोकप्रिय है पर इसकी पहचान बना रहा जिस पर एक छोटी लड़की को दिखाया जाता है। इससे पहले जो बिस्किट था उस पर गाय और ग्वालन युवती बनी हुई थी । और इसके पीछे एक संदेश लिखा हुआ होता था जिसमें बताया गया था के इस बिस्किट में दूध पीने जैसे ही एनर्जी मिलती है।


पारले ग्लूकोस से parle-g तक का सफर


80 के दशक से पहले इस बिस्कुट को ग्लूकोस बिस्किट के नाम से जाना जाता था बाद में इसका नाम बदलकर parle-g रख दिया और g से ग्लूकोस की जगह जीनियस का प्रचार किया गया।


आजादी के बाद उत्पादन रोकना पड़ा।


1947 में देश की आजादी के बाद पारले जी कंपनी को अपना उत्पादन रोकना पड़ा देश में एक समय ऐसा भी आया जब गेहूं की बहुत अधिक कमी हो गई । उस वक्त पारले जी कंपनी ने अपने उत्पादन को रोक दिया क्योंकि गेहूं इसका मुख्य स्रोत तथा उसके बाद कुछ समय तक इसका उत्पादन जो के द्वारा किया जाने लगा।


पोस्टर गर्ल पर बहस


पारले जी बिस्किट के रैपर पर एक लड़की बनी हुई है जिसके बारे में कई बार बहस हो चुकी है कि आखिर यह बच्चा कौन है? नीरू देशपांडे सुधा मूर्ति और गुंजन गंडारिया नाम की तीन महिलाओं के इस बच्ची होने का दावा किया जाता रहा है लेकिन मीडिया में नीरू देशपांडे को ही यह बच्ची माना गया है नीलू के इस फोटो के पीछे की कहानी यह है कि जब वह 4:30 साल की थी तब उनके पापा ने यह फोटो खींची थी वह कोई प्रोफेशनल फोटोग्राफर नहीं थे लेकिन उनकी खींची इस फोटो को जिसने भी देखा उसने पसंद किया इन्हीं चक्र में यह फोटो किसी ऐसे आदमी की हाथ लग गई जो parle-g वालों को जानता था या फिर उसकी जान पहचान रही होगी और इस तरह से उन्हें पारले के पैकेट पर फीचर होने का मौका मिल गया हालांकि निरू अब 62 साल की उम्र दराज महिला है।

इस खबर के साथ एक मित्र यह भी जुड़ा है कि वह कई जगहों पर पारले जी के पैकेट पर दिखने वाली महिला का नाम नीरू देशपांडे बताया जा रहा है लेकिन फोटो लगाई जाती है सुधा मूर्ति की। यह फोटो वाला जो तो पता नहीं कब से चला रहा है लेकिन यह बात भी सही है कि नीरू की फोटो व ढूंढने पर भी नहीं मिलती क्योंकि हर जगह सुधा की ही फोटो लगी हुई है ।

इन सभी बातों से ऊपर कंपनी के प्रोडक्ट मैनेजर मथक मयंक जैन जी कहते हैं कि यह किसी असल इंसान की तस्वीर है ही नहीं। यह महज एक इलस्ट्रेशन है। साठ के दशक में इस तस्वीर को मगनलाल दहिया नाम के एक आर्टिस्ट ने बनाया था।


और कौन-कौन से हैं parle-g के प्रोडक्ट


  • Parle-g

  • 20-20 कुकीज

  • हैप्पी हैप्पी

  • हाइड एंड सीक

  • क्रेक्जैक

  • मैजिक्स क्रीम

  • मिलानो

  • मोनाको

  • मैलोडी, कच्चा मैंगो बाइट 


लॉकडाउन में टूटा 80 साल का रिकॉर्ड


क्योंकि लॉकडाउन के दौरान स्कूल, कॉलेज, ऑफिस दुकानें, होटल,  सभी बंद थे। प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट रहे थे। घर पर रहने वाले समय में वे बिस्कुट खा कर उठने वाली भूख को शांत करते थे । तो दूसरी और सरकारी व गैर सरकारी संगठनों द्वारा आश्रय केंद्रों और घर लौट रहे प्रवासियों को पारले जी बिस्कुट व अन्य खाद्य सामग्री देकर मदद की जा रही थी। इसी के परिणामस्वरूप लॉकडाउन में पारले जी ने बाजार में 4.5 से 5 प्रतिशत तक अपनी हिस्सेदारी को बढ़ा लिया। उसी समय करोना महामारी के दौरान कंपनी ने तीन करोड़ बिस्किट के पैकेट दान करने की घोषणा की थी।


नहीं बड़े Parle-g बिस्किट के दाम


पारले जी बिस्कुट के दाम 1994 तक केवल ₹4 ही थे। इसके बाद 2020 में बिस्किट के दाम में कुछ बढ़ोतरी करी और इसके दाम ₹1 बढ़ाकर ₹5 कर दिया गए। लगभग 30 सालों तक कंपनी के धाम एक समान ही रखे गए लेकिन फिर भी कंपनी मुनाफा कमाती रही। इसके लिए कंपनी ने एक अलग रास्ता अपनाया कंपनी अपने मार्जन को बनाए रखने के लिए बिस्किट के पैकेट का वजन कम करती रहेगी पहले पैकेट 100 ग्राम का था फिर उस पैकेट को 92.5 ग्राम कर दिया गया फिलहाल parle-g 55 ग्राम में आता है।

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